Friday, 2 March 2018

गुप्त शबरी विद्या सनी शर्मा तन्त्रम

गुप्त शबरी विद्या सनी शर्मा तन्त्रम 

गोरखनाथ जी की बाणी 

सतनमो आदेश गुरु जी को आदेश आदेश 
ॐ गुरु जी धुना धुना नाथा दा धुना विच 
बैठे मेरा महाकाल सत्ये दा चेला सत्ये दा  पुजारी 
शिवा दा मिला मछिन्दर दा चेला गुरु गोरखनाथ 
 सनी है चेला नाथा दा सुन मेरी पुकार मेरे नाथ 
मुंद्रा वाले बाबा गुरु गोरखनाथ हाथ च चिंता गल
च नाग लगे दूजा रूप शिव अवतार सतगुरु हो जा 
मेहर बान करदे बगोबार ला दे सबदे बेड़े पर ॐ शिव 
गोरखनाथ योगी सतनाम आदेश सतगुरु माहराज ! 
सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली ! 

सतगुरु कौन है सतगुरु आपके अंदर है हर एक इंसान उस मालिक का सवरूप है और बुरा तो इंसान के सोच और समझ पर डिपेंड करता है ! कलयुग है अपना प्रभाव हर एक पर दिखायेगा इसलिए गलती नहीं है यह एक परीक्षा है जो इस मैं पास हो गया समझो वो बाबा जी के चरणों मैं बस गया उसको बाबा के चरणों मैं जगह मिलगी बैठे के इसलिए और यह सब मेरा स्वयं क अनुभव है और अनुभव के आधार पर ही मैं कुछ लिखता हूँ किताब ज्ञान मेरे पास नहीं है ! जिसको इस रस्ते पर चलना है तो कुछ तियाग और कठिन मेहनत और मन का भाव सही रखना होगा तभी काम होगा ! गुरु बहार नहीं है गुरु तो आपके अंदर है बस जिस दिन घृस्त जीवन से थोड़ा सॉ लिंक तोड़ोगे तो उस दिन शयद मालिक दिखे आपको सुख और सम्भोग और गुरु साथ नहीं चलेगा पहले घृस्त चलाओ फिर पढ़ो क्युकी पहले सम्भोग का आनंद ले लो जब मन भऱ जाये फिर चलना 
इस रस्ते पर जल्दी सफलता मिलगी अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली माफ करना यह मेरे मन की बात है किसी को कुछ बुरा लगा तो शमा करना ! शिर शम्भू यति गोरखनाथ जी महाराज को आदेश आदेश ! 




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