गुरु गोरखनाथ जी की बाणी
सतगुरु की जोत
सद्गुरु मेरा नाथा दा चेला
नाथ मेरा शिव लगा शिव दा मेला
विच बैठे मेरा सद्गुरु गोरक्षनाथ
जिथे सिमरिये ओथे हाज़िर
मैं ता तेरा चेला सनी सिमरे
सनी कहे नाथा दी बाणी ९ नाथ
८४ सिद्धो की बाणी चढ़ी जुबान
हॉवे जन कलियाँ सतनाम आदेश
सद्गुरु गोरखनाथ जी महाराज
को आदेश आदेश !
सद्गुरु की जोत कैसे जलती है वो आपकी इच्छा शक्ति पर देपेंद करती है गुरु मंत्र का निरन्तरं जाप से ही आपको वो वाली चीज़ मिलती है गुरु ही देने वाला है गुरु ही लेने वाला है यह सब तो उसके ही शब्द है हर शब्द मैं सद्गुरु का बस है तांत्रिक बनने से अच्छा सच्चा भगत बनना अच्छा है क्युकी सिद्धि विधि यही रह जनि है साथ जाना है गुरु का नाम और कर्म
वो सही होंगे तो आपका काम होगा अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली ! मेरा काम सही जानकारी देना हिअ मेरे पोस्ट कॉपी पेस्ट मत करना कबि बी क्युकी सब कुछ यही है यही से लो यही पढ़ो कॉपी पेस्ट से अच्छा ट्राई करना है
आप मंत्र को चला कर देखो और शक्ति न अनुभव करो है गुरु गोरखनाथ !
गुरु जी का सिमरन
श्री गुरुस्तोत्रम्: गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥२॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशालाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥३॥
स्थावरं जङ्गमं व्याप्तं येन कृत्स्नं चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥४॥
चिद्रूपेण परिव्याप्तं त्रैलोक्यं सचराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥५॥
सर्वश्रुतिशिरोरत्नसमुद्भासितमूर्तये ।
वेदान्ताम्बूजसूर्याय तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥६॥
चैतन्यः शाश्वतः शान्तो व्योमातीतोनिरञ्जनः ।
बिन्दूनादकलातीतस्तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥७॥
ज्ञानशक्तिसमारूढस्तत्त्वमालाविभूषितः ।
भुक्तिमुक्तिप्रदाता च तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥८॥
अनेकजन्मसम्प्राप्तकर्मेन्धनविदाहिने ।
आत्मञ्जानाग्निदानेन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥९॥
शोषणं भवसिन्धोश्च प्रापणं सारसम्पदः ।
यस्य पादोदकं सम्यक् तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१०॥
न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तपः ।
तत्त्वज्ञानात् परं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥११॥
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः ।
मदात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१२॥
गुरुरादिरनादिश्च गुरुः परमदैवतम् ।
गुरोः परतरं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१३॥
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् ।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम्
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुंतं नमामि ॥१४॥
गुरु सिमरन और गुरु नाम दान से ही आपको अध्यतम के रस्ते पर फलता मिलती है बहुत से लोग भगति करते है लेकिन फल नहीं मिलता है उसका कारन होता है आपके इष्टदेव क्युकी गिनती एक से गुरु होती है न के दस से आप लोग बहार ढूंढ़ते हो सब कुछ जब के सब कुछ आपके अंदर है इसलिए गुरु नहीं है इष्टदेव की पूजा और भगति करो आप सभी फिर चलो तंत्र मंत्र के मार्ग पर क्युकी कठिन है यह रास्ता है भगति तक है लेकिन आगे कष्ट है बॉडी पर और आपके शरीर पर जो आगे यह मेरा स्वयं न अनुभव है इसलिए बोलता हूँ पहले गुरु होगा तो नेगटिव शक्ति से बच जाओगे आप सभी गुरु आपकी ढाल होता है बाकि आप सभी पढ़े लिखे हो मेरे से जायदा समझदार हो मैं तो उस मालिक का नादान सॉ बच्चा हूँ ! जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली मेरा काम सही जानकारी देना है न की किसी को किसी भरम मैं डालना है जिसका विश्वास है परमात्मा मैं वही करे यह सब कुछ जय गुरु गोरखनाथ अलख आदेश श्री शम्भू यति गोरखनाथ जी महाराज को आदेश आदेश !
पूजाकाल मैं शरीरका झूलना और उबासी का आना संकेत
भगित करने से किसी के साथ बी यह हो सकता है यह कुछ उस शक्ति का असर होता है क्युकी पूजा टाइम मैं दोनों विकार साथ मैं चलते है जैसे के पहला पोस्टिव और नेगटिव दोनों साथ मैं नेगटिव एनर्जी को बहार को धकेलना और पोस्टिव एनर्जी को अंदर लेना जैसे जैसे गुरु मंत्र जा किसी मंत्र का निरंतर जाप करते जाओगे आप सभी वैसे वैसे आपको वो शक्ति महसूस करवा देगी पोस्टिव और नेगटिव दोनों प्रकट की शक्ति से गुरु मंत्र जाप के दौरान आपको बहुत से अनुभव होने गुरु के होने के असास और उसके इलावा बॉडी मैं भारी पन यह सब उस मालिक की मर्जी है और यह सब कुछ मैं अपने अनुभव के आधार पर आप सभी को बता रहा हूँ गुरु कृपा और इष्टदेव और पितरो की रेहमत से ही आपको सब कुछ मिलगा ऐसे नेट से उतना कर आपको कुछ बी नहीं करना है अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली मेरा काम देना है सोच और समाज आपकी सबकी अपनी अपनी है ! रियल तंत्र मंत्र आज के तंत्र मंत्र से हटके है जय गुरु गोरखनाथ !
शबरी विद्या सनी शर्मा
सतनामो आदेश गुरु जी को आदेश आदेश
ॐ गुरु जी ॐ सिद्धनाथ गुरु गोरखनाथ
मछिन्दर का चेला बैठे धुनें पर लगे मेला
सत्ये का पुजारी शिवरूप धारी करे विचार
सनी है बचरा तेरा बाबा चढ़ मेरी जुबान
करे सबदे बेडे पार बैठे साथ ९ नाथ ८४
सिद्ध महाराज चले मेरे गुरु गोरखनाथ दा
बाण मेरी सुने मेरा नाथ मेनू देखन सब दे पाप
बाबा दुनिया तेरी बंदगी दी दीवानी मैं तेरा
गुलाम चढ़ बाबा हुन मेरी जुबान तेरी बानी
तेरा तीर चले जद निकलन सब दे कम
ॐ शिव सदगुरु गोरखनाथ तेरी सदा
ही जय जैकार सनी शर्मा शिव
गोरक्षधाम सतनाली !
शबरी विद्या और ज्ञान तो गुरु के देना है मेरे शब्द किताब के नहीं है मैं तो वही लिखता हूँजो मेरा गुरु मुझ से लिखवाता है और मैं सत्ये का पुजारी हूँ सच क साथ देता हूँ म्हणत तो अपनी अपनी है क्युकी जैसा इंसान बीज बोहेगा तो वैसा ही फल मिलगा उसको मेरा कम देना है और मेरी कोई बी किरिया जा मंत्र कबि बी मेरे से पूछे बिना मत करना है क्युकी किसी के बारे मैं कुछ नहीं बोलता हूँ लेकिन रियल किरिया डायरेक्ट चलती है कम बी करती है ऐसे कुछ मत करना यह सब बाणिया है बाबा जी की मंत्र तो मैंने अभी पोस्ट नहीं किया है ! थोड़े टाइम मैं देखगे हम और यहाँ पार वही चीज़े दुगा मैं जो सबके लिए सही होगी और नई होगी किताबी नहीं होगी मेरे दोवारा अनुभत होगी ! और सिद्ध पुरष बी है सेवक है चाहे वो बी मेरे मंत्र को मेरे से पूछे बिना न करे क्युकी बाबा जी के शब्द है वही देते है उनकी ही कृपा है और वही जाने इन शब्दों का राज हुकुम से ही करना है सब कुछ अलख आदेश सनी शर्म शिव गोरक्षधाम सतनाली ! मेरा किसी बी यति और किसी का बुरा करना है है लेकिन मैं सच ही बोलता हूँ मेरे पास फ़ास्ट वाला कम नहीं है जिसको सद्गुरु पर विश्वास है वही करे यह सब जिसका नहीं है वो सब दूर ही रहे जय गुरु गोरखनाथ !

गुप्त शबरी विद्या सनी शर्मा तन्त्रम
गोरखनाथ जी की बाणी
सतनमो आदेश गुरु जी को आदेश आदेश
ॐ गुरु जी धुना धुना नाथा दा धुना विच
बैठे मेरा महाकाल सत्ये दा चेला सत्ये दा पुजारी
शिवा दा मिला मछिन्दर दा चेला गुरु गोरखनाथ
सनी है चेला नाथा दा सुन मेरी पुकार मेरे नाथ
मुंद्रा वाले बाबा गुरु गोरखनाथ हाथ च चिंता गल
च नाग लगे दूजा रूप शिव अवतार सतगुरु हो जा
मेहर बान करदे बगोबार ला दे सबदे बेड़े पर ॐ शिव
गोरखनाथ योगी सतनाम आदेश सतगुरु माहराज !
सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
सतगुरु कौन है सतगुरु आपके अंदर है हर एक इंसान उस मालिक का सवरूप है और बुरा तो इंसान के सोच और समझ पर डिपेंड करता है ! कलयुग है अपना प्रभाव हर एक पर दिखायेगा इसलिए गलती नहीं है यह एक परीक्षा है जो इस मैं पास हो गया समझो वो बाबा जी के चरणों मैं बस गया उसको बाबा के चरणों मैं जगह मिलगी बैठे के इसलिए और यह सब मेरा स्वयं क अनुभव है और अनुभव के आधार पर ही मैं कुछ लिखता हूँ किताब ज्ञान मेरे पास नहीं है ! जिसको इस रस्ते पर चलना है तो कुछ तियाग और कठिन मेहनत और मन का भाव सही रखना होगा तभी काम होगा ! गुरु बहार नहीं है गुरु तो आपके अंदर है बस जिस दिन घृस्त जीवन से थोड़ा सॉ लिंक तोड़ोगे तो उस दिन शयद मालिक दिखे आपको सुख और सम्भोग और गुरु साथ नहीं चलेगा पहले घृस्त चलाओ फिर पढ़ो क्युकी पहले सम्भोग का आनंद ले लो जब मन भऱ जाये फिर चलना
इस रस्ते पर जल्दी सफलता मिलगी अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली माफ करना यह मेरे मन की बात है किसी को कुछ बुरा लगा तो शमा करना ! शिर शम्भू यति गोरखनाथ जी महाराज को आदेश आदेश !
सध्गुरु गुरु गोरखनाथ जी महाराज
मुंद्रा वाले बाबा तेरी सदा ही जय जैकार
ॐ शिवगोरक्ष योगी सिद्ध रूपी
शिवरूप धारी बैल सवारी चढ़
सवारी बोले मेरा नाथ मुंद्रा वे
मुंद्रा बाबे दा चिमटा शान शान करदा
तेरी फकीरी मेनू भाई चढ़ मेरे नाथ कर जग भलाई
सनी तेरा चेला सिमरे तेनु वार वार
जिथे याद करा बाबा ओथे ही भर भर
कर दीदार तेरी सदा ही जय जैकार मुन्र्द वाले बाबा !
सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
गुरु जी की बाणी जग तो न्यारी है गुरु ही देवे गुरु ही लेवे सत्ये की पूजा सत्ये का नाम गुरु ही गुरु सतगुरु पार्षद इसलिए गुरु सिमरन पहले गुरु भगति पहले गुरु नाम पहला बाकि बाद मैं इष्टदेव पितरो का नाम बी साथ मैं लो और गुरु बिना कुछ नहीं करना है जो बी करना है गुरु हुकुम से करना है और गुरु जी के मारगदर्शन मैं ही करना है सनी शर्मा श्वी गोरक्षधाम सतनाली अलख आदेश शिर शम्भू यति गोरखनाथ जी महाराज को आदेश आदेश !
शाबर तन्त्रम सनी शर्मा
सतगुरु गोरखनाथ जी की बाणी
सतनाम आदेश गुरु जी को आदेश आदेश
जत जट्टा कैलाश वासी बैल सवारी
चढ़ बैल गुमे शमशान का राजा
शिवरूप धारि ॐ श्री सतगुरु
गोरक्षनाथ अवनिशि मछिन्दर
चेला लगा मेला नथो ने मानी
सनी है तेरा चेला जिथे सिमरे
ओथे खेले नाथ दी मंडली !
सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम
सतनाली !
गुरु गोरखनाथ जी तेरी सधा ही जय जैकार गुरु गोरक्षनाथ जी बहुत बढ़ी शक्ति है जिसने बी सच्चे मन से गुरु जी को पूजा है उसका ११०% काम हुआ है चाहे वो फिर कैसा बी हो लेकिन भाव और गुरु पर विश्वास बहुत ही जरूरी है गुरु बिना गति नहीं गुरु बिना चेला नहीं !
गुरु चले चेले के साथ उजाड़ बैठे मेरे नाथ करा थोडा दीदार
ॐ शिव शम्भू यति गोरखनाथ जी महाराज तेरी सधा
ही जय जयकर अलख आदेश ॐ शिव अधिकार करो
जग का कलियाँ चढ़ सनी दी जुबान तेरा बचरा करे तनु
याद रख ओदी लाज ॐ शिव गुरु गोरक्ष सत सत परनाम !
bani गुरु की दें है गुरु के शब्द गुरु का चेला ही जाने सब कुछ अपने अंदर है बहार कुछ बी नहीं है गुरु बिना कुछ नहीं है गुरु नहीं है इष्टदेव की सेवा करो सब कुछ घृस्त जीवन मैं रह कर करना है ! क्युकी संसार का नियम पहले गुरु का आदेश पहले गुरु जैसे बोले वैसे ही करना है भगति से ऊपर कुछ नहीं है ! सिद्धि विद्धि यही रह जनि है भगति साथ जनि है ! सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली ! यह मेरा अनुभव है न की किताब के शब्द जो मन बोलता है आता है वही यहाँ पर लिखता हु !