Friday, 23 February 2018

गुरु दानी होता है 

गुरु दानी होता है क्युकी जो बी शिष्ये गुरु जी का नाम भजन करेगा वो गुरु का प्रिये होगा और उस पर गुर कृपा बी बहुत होगी यह गुरु के शब्द ही है इसलिए गुरु का नाम सबसे पहले सब कुछ आपके अंदर है यह आपको गुरु ही दिखा सकता है गुरु बिना गति नहीं है ! 

सद्गुरु मेरा पवन नीर बेहत शिव धीर 
देवे भर भर ज्ञान की पोटली मेरा गुरु 
शिव ! शिव सदा चार महाकाल 

गुरु ही सब कुछ है कहने का मतलब यही है वही देने वाला है वही लेने वाला है नेट पर गुरु नहीं मिलता है और बहार किसको ढूंढ रहा है तू गुरु तो तेरे अंदर है जय गुरु गोरखनाथ नाथ शिव की बाणी है ! गुरु जैसा बी हो लेकिन शिव सवरूप होता है गुरु के अंदर ही आपके मालिक का सवरूप है बस तू उस नज़र से देख उसको सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली ! 


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