गुरु दानी होता है
गुरु दानी होता है क्युकी जो बी शिष्ये गुरु जी का नाम भजन करेगा वो गुरु का प्रिये होगा और उस पर गुर कृपा बी बहुत होगी यह गुरु के शब्द ही है इसलिए गुरु का नाम सबसे पहले सब कुछ आपके अंदर है यह आपको गुरु ही दिखा सकता है गुरु बिना गति नहीं है !
सद्गुरु मेरा पवन नीर बेहत शिव धीर
देवे भर भर ज्ञान की पोटली मेरा गुरु
शिव ! शिव सदा चार महाकाल
गुरु ही सब कुछ है कहने का मतलब यही है वही देने वाला है वही लेने वाला है नेट पर गुरु नहीं मिलता है और बहार किसको ढूंढ रहा है तू गुरु तो तेरे अंदर है जय गुरु गोरखनाथ नाथ शिव की बाणी है ! गुरु जैसा बी हो लेकिन शिव सवरूप होता है गुरु के अंदर ही आपके मालिक का सवरूप है बस तू उस नज़र से देख उसको सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
गुरु दानी होता है क्युकी जो बी शिष्ये गुरु जी का नाम भजन करेगा वो गुरु का प्रिये होगा और उस पर गुर कृपा बी बहुत होगी यह गुरु के शब्द ही है इसलिए गुरु का नाम सबसे पहले सब कुछ आपके अंदर है यह आपको गुरु ही दिखा सकता है गुरु बिना गति नहीं है !
सद्गुरु मेरा पवन नीर बेहत शिव धीर
देवे भर भर ज्ञान की पोटली मेरा गुरु
शिव ! शिव सदा चार महाकाल
गुरु ही सब कुछ है कहने का मतलब यही है वही देने वाला है वही लेने वाला है नेट पर गुरु नहीं मिलता है और बहार किसको ढूंढ रहा है तू गुरु तो तेरे अंदर है जय गुरु गोरखनाथ नाथ शिव की बाणी है ! गुरु जैसा बी हो लेकिन शिव सवरूप होता है गुरु के अंदर ही आपके मालिक का सवरूप है बस तू उस नज़र से देख उसको सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
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